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धैर्य की परीक्षा- एक कविता

धैर्य की परीक्षा दुख मुसीबत इक परीक्षा, है धैर्य की जजबात की। प्यार कितना खोया कमाया,है आपसी सदभाव की, संयम लगन और हिम्मत,हम जुटा सकते कहाँ तक। गम के सफर में हम,कहाँ कैसे सँभलते और गिरते। दुख मुसीबत की धमक, पर जो ठहर सकते नहीं। मिटाकर के वो अपनी हस्ती,फिर संवर सकते नहीं। आँधियां तूफांन सह कर,फिर बिखर जाती धरा है। वो उजाड़े वो संवारे रात दिन,बीते है रात फिर आती सुबह। आंधियां तूफान अरु ये कायनात,सब तो हैं सगे भाई बहन। बिगड़ना बनना फिर बिगड़ना,एक ही पहिये के दो आयाम हैं। आती हैं बहारे फिर दुबारा,तूफानों के गुजर जाने के बाद। शोहरत औ दौलत कितना कमाया,यह पता चलता है कब। जब मुसीबतों की पड़ी हो,झम झमाझम घोर बरसात। दावानल है शांत होता कब,जब उजड़ जाता चमन है। राख दावानल कि फिर,वसुंधरा का है करती पोषण। और बारंबार फिर आती बहारें,सज संवर जाता चमन है। सज संवर जाता चमन है............................. रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर

फरजी भगवान जेल के अंदर- एक कविता

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फरजी भगवान जेल के अंदर खाल ओढ़कर इक भेड़िया,पहुँचा जन जन पास। नख अपने थे छुपा लिये,आनन में थी गहरी मुस्कान। दाता पिता सभी कुछ मैं हूँ, मैं ही हूँ भगवान। घात छुपाई अपने दिल में,होंठों में रख मीठी मुस्कान। दुष्कर्मी हंता षड़यंत्री,था पापों की वो गहरी खान। राम रहीम कृष्ण करीम, ईश्वर के हैं नाम अनेक। धरकर नाम राम रहीम,काली करतूतें था वो करता। फुसला बहला कर सबजन को,माया अपनी थी खूब फैलायी। दया धर्म का मंदिर कहकर,नाहर की थी मांद बनायी। खाल उतार खोलता पंजे,खूंखार भेड़िया वो बन जाता। शोषक बन वो शोषण करता,शीलभंग वो था करता। पापों का भर गया घड़ा,आंधी में उड़ गयी थी खाल। जाँच हुई औ हुई कड़ाई,फरजी रंग चोला उतर गया। पहुँच गये वो जेल के अंदर,काला चिठ्ठा जभी खुला। हुए सलाखों के भीतर तब,जब पापों की मिली सजा। रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर

90 वर्षीय अपंग कछुए को पहियों से लैस किया गया

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90 वर्षीय अपंग कछुए को पहियों से लैस किया गया एक 90 वर्षीय मादा कछुआ प्रकृति की क्रूरता का शिकार हो गयी थी, उसका नाम श्रीमती टी था।अपने अंडों को सेने की प्रक्रिया(हेचिंग) के दौरान जब वह सुप्तावस्था में थी,तभी उस पर चूहों ने हमला कर दिया था।उस बेचारी के अगले पैरों को चूहों ने कुतर कर उसे अपंग बनाकर मरने के लिये छोड़ दिया था। श्रीमती टी के मालिक बहुत ही संवेदनशील इंसान थे,उन्हें उसको इस हालत में देखना कतई गवारा नहीं था ।पहले उन्होंने मोची से समपर्क साधकर उससे कृत्रिम पैर लगवाने का विचार बनाया।जिसमें उसे आपरेशन कर टांकों दवारा पैर जोड़ा जाना था,परंतु इस प्रक्रिया में उसके जीवित रह पाने की सम्भावनायें कम थीं।उसके मालिक जूड राइडर ने यह विचार त्याग कर उसके शरीर के अगले हिस्से में एक जोड़ी पहियों को रेजिन दवारा जोड़ दिया।अब वह इन पहियों की मदद से अपने पिछले पैरों दवारा पहले की तुलना में अधिक तेजी से चल लेती है।हालांकि ऐसा पहली बार नहीं किया गया है, इसके पहले मार्च 2014 में एक 23 वर्षीय कछुआ, जिसका नाम सैप्टिमस था, उसे मॉडल विमान के पहिये लगाये गये थे।उसके भी पैरों को चूहों ने कुतर दिय

स्वार्थ में परमार्थ- एक कविता

स्वार्थ में परमार्थ दुखती रग में हाथ रख दिया, मेरे आँसू छलक गये। उसने अपने घाव कुरेदे, मैं ना उनको समझ सका। फूलों भरी महकती राहें,अपनी दुनिया मैं ऐसी चाहूँ । धूल भरी हों राहें उसकी,मैं उसमें कांटे बिखरा दूँ। अपने पथ के कंकड़ चुनकर,राह में उसकी मैं बिखराऊँ। चाहूँ अपना चमन सुहाना,बदसूरत हों उसकी राहें। मेरा सफर सुहाना हो, उसकी राहों में मौत का मंजर। स्वार्थ भरा है मेरा जीवन,लोभ मोह से हूँ मैं लथपथ। कुछ कांटे मैं उसके चुनकर,अपने चमन की बाड़ सजाऊँ। उसकी राहों की धूल उठा लूँ,उससे अपना चमन महकाऊँ। अपनी बगिया के कुछ पौधों,से मैं उसका चमन सजाऊँ। अपने उसके कंकड़ पत्थर,साथ मिला कर राह बनाऊँ। मेरी उसकी बगिया महके,खुशबू से दामन भर जाये। दीप से दीप जले ज्यूँ मिलकर,रोशन सारा जहान हो जाये। हाथ से हाथ मिलाओ सबसे, दुगुना बल और जोश जाये। बढ़ा हौसला देखे दुनिया,फिर बैरी भी कर पसराये। रचनाकार- राजेश कुमार,  कानपुर

भारतीय उपमहाद्वीप की धब्बेदार पीली तितलियों (One-spot Grass Yellow) से एक परिचय:

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भारतीय उपमहाद्वीप की धब्बेदार पीली तितलियों ( One-spot Grass Yellow ) से एक परिचय: पीली तितलियाँ( One-spot Grass Yellow )छोटे आकार की तितलियां हैं जो अपने चमकदार पीले पंखों के कारण आसानी से पहचानी जाती हैं।इनकी  छोटे समूहों में एकत्र होने की उनकी आदत होती है और यह नम रेत व मिट्टी व घास वाले मैदानों में मंड़राती रहती हैं। उनके नाम के बावजूद, उनके कैटरपिलर कोई भी घास पर नहीं खाते अतः इनके नाम से इस तथ्य की पुष्टि होती है कि इनकी ज्यादातर प्रजातियां घास वाले निवासों में पाई जाती हैं।इन तितलियों को One-spot Grass Yellow यह लोकप्रिय नाम इनके शरीर व पीले पंखों में बने एक गहरे धब्बे के कारण मिला है।यह अंतर ही इनहें अन्य समान प्रजातियों से अलग करता है। उदाहरणस्वरूप तितलियों की ब्लांडा प्रजाति में में 3 धब्बे हैं, जबकि हेकैब और सिमुलाट्रिकस दोनों प्रजातियों में 2 धब्बे हैं।इसके अतिरिक्त एक अन्य उपयोगी ​​विशेषता अंडरसाइड एपेक्स पर गहरे धब्बे हैं जो कि ब्लंडा, हेकैब और सिमुलाट्रिकस प्रजातियों में यह अनुपस्थित है। Grass Yellow से सभी परिचित हैं ।दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय तितलियों की क

आश्चर्यजनक: चिड़िया इतना बड़ा घोंसला बनाती है कि उससे पेड़ ही उखड़ जाये

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आश्चर्यजनक :  चिड़िया इतना बड़ा घोंसला बनाती है कि उससे पेड़ ही उखड़ जाये अपने आकार के साथ अफ्रीका की सोसल वीवर बर्ड इसी प्रकार के घोंसले का निर्माण करती है।गौरैया के आकार की यह चिड़िया अफ्रीका के राज्यों पायी जाती है।इसके घोंसले कालोनीनुमा होते हैं जिनमें 500 से अधिक चिड़ियां एक साथ रहती हैं।इनके घोंसले 2,000 पौंड वजनी तथा 20फुट लम्बे,13फुट चौड़े तथा इनकी मोटाई 7 फुट तक होती है।मियामी विश्वविद्यालय में एक जीवविज्ञानी गैविन लीटन के अनुसार ये    संरचनाएं इतनी बड़ी हैं कि ये जिन पेड़ों पर स्थित होती हैं वही उखड़कर धराशायी हो जाता है।इन्हें इतनी अच्छी तरह से निर्माण किया जाता है कि यह 100 वर्ष तक कायम रह सकते हैं।इन घोसलों में 100से से ज्यादा कक्षों वाली इन एकल संरचनाओं में दुनिया की सबसे बड़ी सामाजिक रहन-सहन की व्यवस्था विद्मान होती है, जो कि मनुष्यों द्वारा बनायी जाने वाली गगनचुंबी इमारतों से परे है।   नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के अर्ध-शुष्क मैदानों में बनाये जाने वाले सोसल वीवर बर्ड के घोंसले बिल्कुल अलग प्रकार की सामग्रियों से बनाये जाते हैं।इनका बाहरी हिस्सा तिनका तिनका चुनकर बु

तीन तलाक पर इंसाफ की गहरी चोट -एक कविता

तीन तलाक पर इंसाफ की गहरी चोट मानवता रथ के दो पहिये, नर नारी हैं एक समान । नहीं नीच है कोई जग में, और नहीं है कोई महान। ईश्वर अल्ला के दर पर, सभी जीव हैं एक समान। एक कोख से जन्म हैं लेते,जननी जनक हैं एक समान। कठमुल्लों समझो ये बातें,है लहू सभी का एक समान। धरम शरीयत तुमने बनाया,जैसा मन चाहा बना लिया। कानून बनालो और मिटालो,मनचाही धारायें लिखलो। निकाह वक्त जब सहमति लेते,इकतरफा तलाक मनमाना है। थी चल रही जिरह दशकों से,अब आज मिली आजादी है। मुस्लिम नरनारी मिलकर सब,शब्द निकाह से आह निकालो। गुत्थी अरु मन की गांठे खोलो,मलमल कर मन को धो डालो। न्याय धरम की पाक तराजू,से सब अश्कों को धो डालो। रचनाकार- राजेश कुमार,  कानपुर 

हादसों की दुनिया- एक कविता

हादसों की दुनिया हादसों की है दुनिया, हादसों के हैं वतन। हादसों के हैं गाँव,    हैं हादसों के शहर। हादसों की हैं सड़कें,  हैं हादसों की डगर। हादसों की हैं गलियाँ, हैं हादसों के घर। हादसे रोज होते,     है दुनिया उजड़ती। करे और कोई,      भरे और कोई। करता हूँ ही रहता,   मैं रोज ही खतायें। पर इस उस पे डालूँ, मैं अपनी खतायें। थी तेज रफ्तार ,    वाहन की मेरी। हुई तेज टक्कर,     गिरा भूमि पर मैं। मैं था उनसे बोला,   बिल्ली ने थी राह काटी। होतीं हैं निस दिन,   रेलों की टक्कर। पलटते हैं डिब्बे,     औ होती हैं मौतें। फिर होती हैं जाँचे,   पर नतीजा सिफर है। मैं था उनसे बोला,   करो कोई हिकमत। निकालो कोई राह,   पर ना कुछ मैं करूँगा। कभी फिर से कोई,   हादसा हो अगर तो। मैं कहता फिरूँगा,    तुम्हारी खता है...तुम्हारी खता है.................. रचनाकार- राजेश कुमार,  कानपुर

कजाखस्तान की यह छोटी सी लड़की, 1980 के माइक टायसन के मुकाबले की कट्टर मुक्केबाज है

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कजाखस्तान की यह छोटी सी लड़की, 1980 के माइक टायसन के मुकाबले की कट्टर मुक्केबाज है आश्चर्यचकित व भयभीत महसूस करने के लिए तैयार रहें।मिलिये इवनिका सादवकास,जो   कजाकिस्तान के सभी धुरंधर बाक्सरों में से एक है।इवनिका कुछ साल पहले वायरल सनसनी बन गई थीं जब उसके पिता जो उसके मुक्केबाजी ट्रेनर भी हैं, ने उसकी जबर्दस्त फाइट का एक वीडियो यूट्यूब पर पोस्ट किया था। उस समय वह पांच वर्ष की थी, और उस वीडियो को लगभग 3 लाख से ज्यादा लोगों ने देखा था। वीडियो के दर्शकों की संख्या जानकर आसानी से समझा जा सकता है कि इवनिका ने 2013 में ही इंटरनेट के दिल पर कब्जा कर लिया था। उसके हाथ और रिफ्लेक्सेस बिजली की तेजी से चलते हैं। वह छोटी, मज़ेदार और मजबूत दिखाई पड़ती है।अभी वह फिर से वापस आ गयी है।अब वह दो साल और बड़ी हो गयी है,पहले से अधिक ताकतवर, बेहतर प्रशिक्षित हो चुकी है और यदि आपने उसे मुकाबले के लिये चुनौती दी तो वह आपके जबड़े को तोड़ सकती है।इवनिका को जिन लोगों ने 2013 में देखा था तब वह बच्ची जैसी ही दिखती थी, 6वर्ष की बच्ची जिसने अभी-अभी ऊँची कुर्सी में बैठना ही शुरू किया हो।अब तो वह मैन्नी पैक्कि

ऑडी पानी और हवा से डीजल ईंधन बना रही है

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ऑडी पानी और हवा से डीजल ईंधन बना रही है ऑडी ने सल्फर युक्त परंपरागत जीवाश्म ईंधन के विपरीत सिर्फ पानी और हवा का उपयोग करके एक सिंथेटिक डीजल ईंधन "ई-डीजल" का उत्पादन शुरू कर दिया है। सीएनएन डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक जर्मन ऑटोमोबाइल कंपनी आडी एक वैज्ञानिक "तरल की शक्ति" प्रक्रिया के माध्यम से इस स्वच्छ ईंधन को बनाने की प्रक्रिया के करीब पहुँच चुकी है।इस प्रक्रिया में उसे आडी पार्टनर सनफायर तथा जर्मन कलीन टेक कम्पनी सहयोग प्रदान कर रही हैं।ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी इस अति कुशल कार्बन रहित ईंधन को बनाने के लिए जीवाश्म ईंधन जलाकर तथा उसे रिसिकिल कर ,सबसे आम ग्रीन हाउस गैस यानि कि कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करेगी। ऑडी के शोधकर्ताओं ने सबसे पहले स्टीम यानि भाप को 800 डिग्री सेल्सियस से अधिक ताप में गर्म कर उसे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ दिया और फिर वे उच्च दबाव और तापमान पर हाइड्रोजन को कार्बन डाइऑक्साइड के साथ मिलाकर  नीले कच्चे तेल में बदल दिया।फिर जिस प्रकार क्रूड आयल को गैसोलीन में परिस्कृत किया जाता है उसी प्रकार नीले कच्चे तेल को परिस्कृत किया गया।स

तीन / समानार्थी - एक कविता

शीर्षक- तीन / समानार्थी तिनका-तिनका बन बिखर रही,है मानवता हो रही तीन तीन। भुखमरी आतंक साम्राज्यवाद,हैं मानवता के दुश्मन तीन तीन। सत्य अहिंसा और धर्म हैं,ध्वजवाहक मानवता के तीन तीन। स्वर्ग बने यह बसुंधरा, गर तजें लोभ स्वार्थ मद तीन तीन। रचनाकार- राजेश कुमार,  कानपुर

किसान के पेट में सैकड़ों सिक्के व कीले पायी गयीं

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किसान के पेट में सैकड़ों सिक्के व कीले पायी गयीं एक किसान के पेट से सैकड़ों सिक्के, कीलें और कई अन्य वस्तुओं को निकाला गया।कैटर फोटो एजेंसी के मुताबिक, भारत के पश्चिमी राज्य पंजाब के भठिंडा से बुधवार को राजपाल सिंह उम्र 34वर्ष को अस्पताल ले जाया गया। कैंटर फोटो एजेंसी के मुताबिक एंडोस्कोपी जाँच दवारा सिंह के पेट में सैकड़ों वस्तुओं के मौजूद होने की जानकारी मिली।इन वस्तुओं को इनके पेट से बाहर निकालने के लिये दो आपरेशन किये गये।आर गगन गैस्ट्रोकैयर में इनका आपरेशन कर 140 सिक्के, 150 कीलें और एक मुट्ठी भर नट, बोल्ट और बैटरी निकाले गये। सिंह ने कैटर से बातचीत में बताया '' मैं परिवार की समस्याओं के कारण मैं अवसाद (डिप्रेसन) में चला गया था और अजीब आदतों से घिर गया था।सिक्कों और धातुओं को फलों के रस तथा दूध के साथ निगल लेता था।" सिंह ने कहा कि उनकी आदत ने उसे मार ही दिया होता। उन्होंने कहा '' डॉक्टरों ने मुझे बताया है कि इन नोकदार कीलों से मेरी आंतों में छेद हो सकता था,जिससे मेरी मृत्यु हो सकती थी।अब मैं फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा। '' डॉ. गनदीप गोयल के नेतृ

गल्प कथायें

गल्प कथायें मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।वह समूहों में रहकर अपने आपको सुरक्षित महसूस करता है।समूह में रहने के और भी अनेकों फायदे है।एक दूसरे को सहयोग प्रदान कर सुख-दुख बाँटना आदि।सूचना क्रांति आने के पूर्व मनुष्य के पास मनोरंजन तथा समय काटने के सीमित साधन थे। जबकि आधुनिक युग में यह सब असीमित है।उस समय काल में समय काटने तथा उपयोगी ज्ञान किस्से कहानियों द्वारा एक से दूसरे व दूसरे से तीसरे में बाँटने का अनवरत क्रम चलता रहता था।इन्हीं किस्से कहानियों का एक स्वरूप था गल्प कथायें,इन कथाओं को आज भी हम लोग किसी न किसी स्वरूप में याद करते रहते हैं।समय काल के चलते गल्प षब्द का अपभ्रंश होकर गप्प हो गया।आज जो भी व्यक्ति ज्यादा बातें करता दिखाई देता है उसे लोग गप्पी कह देते हैं।समूह में बैठकर खाली समय गप्पें मारकर बिताया जाता है।गल्प कथाओं में जो बात कही जाती है वह तथ्यों से परे तथा अविश्वसनीय होती है।जिन्हें किसी भी प्रकार तर्क की कसौटी में कसा जाना सम्भव नहीं है।बस कहानी है सुनते जाओ मजे लेते जाओ।कहानी सुनने के बाद चाहे उसे तार्किकता द्वारा सही मानने की असफल कोशिस करें, बहस करें या फिर भूल जाय