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वीर शहीदों को नमन

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वीर शहीदों को नमन आतंकवाद से त्रस्त है दुनिया त्राहि-त्राहि मानवता करती। शैतानी अरि लाशें गिरा रहा है रोज-रोज मानवता मरती। दुश्मन देश पड़ोसी अपना निशिदिन ही भेज रहा आतंकी। मार-काट कर निर्दोषजनों की आत्मघात कर रहा आतंकी। धरती है वीर सपूतों वाली आन बान शान की रक्षा करते। मर मिटते हैं देश की खातिर निज सीमा की रक्षा करते। धोखे से छिपकर आतंकी वैरी ने छुरा पीठ पर वार किया। किया हताहत वीरों की टोली को प्यारे पुत्रों को सुला दिया। तिरंगे को वसन अपना बनाकर शहीद चिरनिद्रा में लीन हुये। फिजायें भी देख मना रहीं मातम जन-जन सब गमगीन हुये। शहीदों के स्वजन अनाथ हो गये जीवन भर का घाव मिला। मर-मिटेंगे है अभी कायम जज्बा सब भूलकर शिकवा गिला। देकर कुर्बानी लेते हैं सलामी वीर शहीद जब पहनकर तिरंगा। दीपक पर जलकर ज्यों परवान होकर खुद मिट जाता पतंगा। रचनाकार- राजेश कुमार , कानपुर

पनहीं बनी मोबाईल लेलें सेल्फी

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पनहीं बनी मोबाईल लेलें सेल्फी गला-जला दे सर्दी-गर्मी पाँव मेरे पनहिंन को तरस रहे। सुख-दुख की ना जाने हम अपनी दुनिया में मगन रहे। सखा-सखी संग हँसते नित खुशियाँ राहों में खोज रहे। मजलूम निर्धनों के जाये धनपुत्रों से हम कम नहीं रहे। हरहाल में अपनी खुशी ढूढ़ लें हमसे बेबसियाँ दूर रहे। राह में मिल गयीं इक पनही कौतुक मन में छाय रहे। पनहीं ही हमरा मोबाइल है सेल्फी मित्रों संग खींच रहे। आजादी में बीते वरस बहत्तर पर हमसे सब बेफिक्र रहे। तारनहार की राह तके राहें जेहि मनहुँ सुधि ध्यान रहे। रचनाकार- राजेश कुमार , कानपुर