वीर शहीदों को नमन

वीर शहीदों को नमन
आतंकवाद से त्रस्त है दुनिया त्राहि-त्राहि मानवता करती।
शैतानी अरि लाशें गिरा रहा है रोज-रोज मानवता मरती।
दुश्मन देश पड़ोसी अपना निशिदिन ही भेज रहा आतंकी।
मार-काट कर निर्दोषजनों की आत्मघात कर रहा आतंकी।
धरती है वीर सपूतों वाली आन बान शान की रक्षा करते।
मर मिटते हैं देश की खातिर निज सीमा की रक्षा करते।
धोखे से छिपकर आतंकी वैरी ने छुरा पीठ पर वार किया।
किया हताहत वीरों की टोली को प्यारे पुत्रों को सुला दिया।
तिरंगे को वसन अपना बनाकर शहीद चिरनिद्रा में लीन हुये।
फिजायें भी देख मना रहीं मातम जन-जन सब गमगीन हुये।
शहीदों के स्वजन अनाथ हो गये जीवन भर का घाव मिला।
मर-मिटेंगे है अभी कायम जज्बा सब भूलकर शिकवा गिला।
देकर कुर्बानी लेते हैं सलामी वीर शहीद जब पहनकर तिरंगा।
दीपक पर जलकर ज्यों परवान होकर खुद मिट जाता पतंगा।

रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर

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