तीन तलाक पर इंसाफ की गहरी चोट -एक कविता

तीन तलाक पर इंसाफ की गहरी चोट

मानवता रथ के दो पहिये, नर नारी हैं एक समान ।
नहीं नीच है कोई जग में, और नहीं है कोई महान।
ईश्वर अल्ला के दर पर, सभी जीव हैं एक समान।
एक कोख से जन्म हैं लेते,जननी जनक हैं एक समान।
कठमुल्लों समझो ये बातें,है लहू सभी का एक समान।
धरम शरीयत तुमने बनाया,जैसा मन चाहा बना लिया।
कानून बनालो और मिटालो,मनचाही धारायें लिखलो।
निकाह वक्त जब सहमति लेते,इकतरफा तलाक मनमाना है।
थी चल रही जिरह दशकों से,अब आज मिली आजादी है।
मुस्लिम नरनारी मिलकर सब,शब्द निकाह से आह निकालो।
गुत्थी अरु मन की गांठे खोलो,मलमल कर मन को धो डालो।
न्याय धरम की पाक तराजू,से सब अश्कों को धो डालो।

रचनाकार- राजेश कुमार,  कानपुर 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बिजली के खंभे पर पीपल का पेड़ - एक कविता

एक कड़वा सच- एक विचार