आश्चर्यजनक: चिड़िया इतना बड़ा घोंसला बनाती है कि उससे पेड़ ही उखड़ जाये
आश्चर्यजनक: चिड़िया इतना बड़ा घोंसला बनाती है कि उससे पेड़ ही उखड़ जाये
अपने आकार के साथ अफ्रीका की सोसल वीवर बर्ड इसी प्रकार के घोंसले का निर्माण करती है।गौरैया के आकार की यह चिड़िया अफ्रीका के राज्यों पायी जाती है।इसके घोंसले कालोनीनुमा होते हैं जिनमें 500 से अधिक चिड़ियां एक साथ रहती हैं।इनके घोंसले 2,000 पौंड वजनी तथा 20फुट लम्बे,13फुट चौड़े तथा इनकी मोटाई 7 फुट तक होती है।मियामी विश्वविद्यालय में एक जीवविज्ञानी गैविन लीटन के अनुसार ये संरचनाएं इतनी बड़ी हैं कि ये जिन पेड़ों पर स्थित होती हैं वही उखड़कर धराशायी हो जाता है।इन्हें इतनी अच्छी तरह से निर्माण किया जाता है कि यह 100 वर्ष तक कायम रह सकते हैं।इन घोसलों में 100से से ज्यादा कक्षों वाली इन एकल संरचनाओं में दुनिया की सबसे बड़ी सामाजिक रहन-सहन की व्यवस्था विद्मान होती है, जो कि मनुष्यों द्वारा बनायी जाने वाली गगनचुंबी इमारतों से परे है। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के अर्ध-शुष्क मैदानों में बनाये जाने वाले सोसल वीवर बर्ड के घोंसले बिल्कुल अलग प्रकार की सामग्रियों से बनाये जाते हैं।इनका बाहरी हिस्सा तिनका तिनका चुनकर बुना जाता है।इसके बाद अंदरूनी कक्षों को शानदार घास और पंखों से सजाये जाते हैं।कभी कभी इनमें कपास के गोले भी रहते हैं जो खेती के दौरान किसानों द्वारा खेतों में छोड़ दिया जाता है।घोंसले के प्रत्येक कक्ष में 3-4 चिड़ियां एक साथ रहती हैं,जो इनके नाम को सार्थकता प्रदान करता है।शीतकालीन रातों में जब बाहर का तापमान जमाव बिंदु से 20 डिग्री फ़ारेनहाइट के नीचे होता है। जीवविज्ञानी गैविन लीटन ने थर्मल रिकॉर्डर लगाकर 3-4 चिड़ियों वाले कक्ष का तापमान 70 या 75 डिग्री फ़ारेनहाइट रिकार्ड किया।उन्होंने कहा "इसलिए इन विशाल घोंसले में रहने के लिए यह वास्तव में बहुत बड़ा थर्मल लाभ है।" पकाने वाली भीषण गरमियों में भी ये कक्ष दिन और रात दोनों में काफी संतोषजनक जलवायु पक्षियों को प्रदान करते हैं।घोंसले के ऊपर से जब सूरज की भीषण धूप पड़ती है तब भी इन कक्षों में छाया का आनंद मिलता है।पूरे घोंसले का परिवेश एक स्विमिंग पूल की तरह होता है जिसमें दिन का तापमान शाम को वापस मिल जाता है।घोंसलों का प्रवेश द्वार नीचे की ओर होता है जो इंसान के अलावा अन्य शिकारियों के लिए अधिक दुर्गम बन जाता है।फिर भी कई बार साँप और बाज घोसलों के ऊपर बैठकर डरावनी आवाजें पैदा करते हैं जिससे इनके बच्चे डरकर बाहर आने का प्रयास करते हैं और उनका अनायास ही निवाला बन जाते हैं।
प्रस्तुति-राजेश कुमार
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