प्यारी गुड़िया- एक कविता
प्यारी गुड़िया- एक कविता मात-पिता की लाड़ली गुड़िया। है घर भर की प्यारी गुड़िया। गुड़ियों संग ही खेले गुड़िया। सबका दिल बहलाये गुड़िया। गयी घूमने माँ संग गुड़िया। बीच हाट में बिछुड़ी गुड़िया। तीन दिनों से भटके गुड़िया। भूखी प्यासी रोती गुड़िया। सबसे मदद मांगती गुड़िया। भूखी नजरों से सहमी गुड़िया। मिली राह भैया से गुड़िया। पूड़ी साग खाये फिर गुड़िया। फिर सब हाल बतायी गुड़िया। तब सही ठिकाने पहुंची गुड़िया। संग मात-पिता मुस्कायी गुड़िया। रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर