सीताराम-एक चतुष्पदी कविता

सीताराम-एक चतुष्पदी कविता

निश दिन सीताराम जपत हैं, नाम जपत सब कष्ट हरत हैं।
यहि अंजनिसुत के इष्टदेव हैं,सब कालभूत इन्हीं सो डरत हैं।
सीता जैसी पत्नी चाहत हैं, पर कोऊ नहिं यहिं राम बनत हैं।
गर सियाराम धरती मा उतरत,स्वर्ग यहीं बन जात जगत है।

रचनाकार- राजेश कुमारकानपुर

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