पिता की सीख सत्तर वर्षीय पिता अपने जवान पुत्र को आवाज देते हैं, "बेटा नीचे आ जा, धूप बहुत तेज है"।बेटा अनसुनी कर देता है।उनका बेटा तेज धूप में खपरैल की छाजन बनाने में व्यस्त है।उनके दो-तीन बार लगातार आवाज देने पर भी बेटा अनसुनी कर देता है, तो वह परेशान हो जाते हैं।एकाएक वह तेजी से उठकर अपने चार वर्षीय नाती को पास में ही धूप में पड़ी चारपायी में लिटा देते हैं।नाती तेज धूप के कारण जोर-जोर से चीखकर रोने लगता है।जिसे देख कर बेटा तिलमिला कर छत से ही चिल्लाया "ये क्या कर दिया आपने"?पिता शान्त मन से बोले "अपने बेटे की तकलीफ देखकर तू कैसे तिलिमला रहा है।तू भी तो मेरा बेटा है।अब शायद तुझे मेरी तकलीफ का अंदाजा हो गया होगा।" रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर