विश्व गौरैया दिवस पर-एक कविता

विश्व गौरैया दिवस पर-एक कविता
गौरैया वो गौरैया रानी प्यारी हो तुम हो अभिमानी।
बनकर श्रम-मूरत तुम सबको श्रम का पाठ सिखाती।
फुदक-फुदक इत-उत उड़ती कानों में संगीत घोलती।
तिनका चुनती दाना चुगती क्षुधा पूर्ण कर नीड़ सजाती।
दूर-दूर तक तुम उड़ जाती पवन देव से होड़ लगाती।
चीं-चीं चुँ-चूँ का सुर करती भोर हो गयी तुम बतलाती।
अपनी मीठी बोली से तुम सबके दिल को हो हरषाती।
संग-संग रहना मिलना-जुलना खेल-खेल में हंसती गाती।
कुछ जाहिल दुश्मन बने जो तेरे वे सबके ही दुश्मन हैं।
सीख एकता श्रम की जो मानें धरा यही जन्नत बन जाये।
रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर

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