शत-प्रतिशत आरक्षण वाला सफाई कर्मियों का कार्यक्षेत्र

शत-प्रतिशत आरक्षण वाला सफाई कर्मियों का कार्यक्षेत्र
आरक्षण पर वहशियाना तरीके से विरोध व बेतुके तर्क देने वालों को शत-प्रतिशत आरक्षण वाला यह क्षेत्र नजर नहीं आता है।सवर्ण जाति के लोग इस क्षेत्र इस क्षेत्र में अपने हाथ आजमाना नहीं चाहते हैं, क्योंकि यह जोखिम भरा,जानलेवा और गंदगी में घुसकर काम करने वाला बेहद घ्रणित कार्य है।दिल्ली में ही पिछले अगस्त माह में 6 सफाई कर्मियों की मौतें हुईं।पिछले 10वर्षों में मुम्बई नगर निगम में डयूटी के दौरान 2721 सफाई कर्मियों की मौतें हुईं। सन् 2011 की आर्थिक सामाजिक व जातिगत जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार अभी भी आठ लाख लोग सिर पर मैला ढोने का कार्य करते हैं। जम्मू-कश्मीर में मृत सुरक्षा कर्मियों की तुलना में सफाई कर्मियों की ज्यादा मौतें हुई हैं।आंकड़ों के अनुसार सीमा पर तैनात सैनिकों की तुलना में सफाई कर्मियों का कार्य अधिक जोखिम भरा है।चित्र में तुलनात्मक आंकड़े दर्शाये गये हैं।सफाई कार्य में लगे ठेकेदार, बेरोजगार सफाई कर्मियों को 500-600 रुपयों का लालच देकर बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के 10-15मीटर गहरे सीवर में उतार देते हैं।जहाँ जहरीली गैस की चपेट में आकर कर्मी अपनी जान से हाथ धो बैठता है।आवश्यकता इस बात की है कि सफाई कर्मियों को समुचित सुरक्षा इंतजाम करने के बाद ही काम पर लगाया जाये।दुर्घटना के समय ठेकेदार पर जिम्मेदारी तय कर उसे उचित मुआबजा दिलाया जाये।आरक्षण का विरोध करने वाले भी इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने की हिम्मत दिखायें।






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