एक विचार

एक विचार
बच्चियों व महिलाओं पर दुष्कर्म व अत्याचार सदियों से होते रहे हैं।परन्तु आज के सभ्य समाज में जहाँ महिलायें पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर आगे बढ़ रही हैं।कुछ महिलायें तो उन्नति के चरम शिखर पर भी विराजमान हो गयी हैं।आज महिलायें बुद्धिजीवी, उच्चतम पदों व उद्योगपति सभी दिशाओं में अपनी छाप छोड़ रही हैं।इस परिवेश में बच्चियों व महिलाओं पर किये जा रहे दुष्कर्म व अत्याचार बर्बर युग की याद दिलाते हैं।जैसा कि अभी भी इस्लामिक देशों में हो रहा है।पिछले दिनों एक वीडियो में एक महिला ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव समाज को दिया है, जिसमें उन्होंने बच्चे को बचपन से ही मानवीय मूल्यों की शिक्षा,समझदारी व महिलाओं के प्रति सम्मानजनक व्यवहार आदि सिखाये जाने का संदेश दिया है।आज जब कहीं दुष्कर्म की घटनायें होती हैं तो मीडिया द्वारा उसे बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जाता है।कई बार तो मीडिया खबरों के चलते दुष्कर्मी को अपने बचाव के लिये ढेर सारे सूत्र अनायास ही मिल जाते हैं।जिनके सहारे वह बच निकलता है।आज के बच्चे इंटरनेट के युग में पल-बढ़ रहे हैं जिसमें पश्चिमी सभ्यता का खुला व नंगापन दिखाया जाता है।जिससे उनके मन में कुत्सित विचार व भावनायें जन्म लेने लगती हैं।फिर वही बड़े हो कर इन्हीं दुर्भावनाओं के साथ गलत रास्ते की ओर अग्रसर हो जाते हैं।
अभी हाल में ही सरकार द्वारा दुराचारियों को सजा दिलाने के लिये कानून में कड़े प्रावधान किये गये हैं।कानून बनाना व उनका प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन करना दो अलग-अलग पहलू हैं।चुंकि यह महिलाओं के आत्म सम्मान से जुड़ा मामला होता है अतः खुलकर अपनी बात नहीं रख पाती हैं।जिससे सही तथ्य सामने नहीं आ पाते।इस वजह से दुष्कर्मी कानून के घुमावदार पेंचों में मामले को उलझा कर बच निकलता है।क्योंकि सम्बन्धित बच्ची व महिला के भविष्य का यक्ष प्रश्न मुँह बाये खड़ा रहता है।अतः कानून से इतर यदि बच्चे को शैशव व किशोर वय में ही महिलाओं के प्रति सम्मान की शिक्षा दी जाये तो बेहतर होगा।लेकिन इसके लिये समाज की सबसे छोटी इकाई घर का माहौल महिलाओं के प्रति सम्मानजनक होना चाहिये।तभी बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा कारगर हो सकेगी।
आज जो बच्चे किशोरावस्था में हैं उन्हें घर व स्कूल से ही मानवीय मूल्यों व महिला सम्मान का पाठ पढ़ाया जाये तो वह आगे चलकर निश्चित ही सही रास्ते की ओर आगे बढ़ेंगे और समाज में एक महत्वपूर्ण सार्थक बदलाव अवश्य आयेगा।
राजेश कुमार, कानपुर

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बिजली के खंभे पर पीपल का पेड़ - एक कविता

एक कड़वा सच- एक विचार