भारतमाता व गणतंत्र-एक कविता

भारतमाता व गणतंत्र-एक कविता

लाल चुनरिया पहने माता शेर सवारी कर आयें।
माँ थामे हैं प्यारा तिरंगा दूर गगन तक लहराये।
हम भारतवासी नित भारत माता को नमन करें।
गणतंत्र हमारा भारी जग में दुनिया से ये न्यारा है।
कुर्बानी अनगिनत सपूतों से आजादी को पाया है।
प्राणपियारी है ये आजादी माटी को करते हैं वंदन।
बाल-युवा वृद्धजन सबही भारतमाता के लाल हैं।
ठौर ठौर में भरी हैं जोंकें रुधिर चूसतीं भारतमाता का।
परदेशों में भरें तिजोरी कर बंदरबांट स्वदेशी दौलत का।
दुश्मन से जो हाथ मिलाते सौदा करते पावन माटी का।
आस्तीन के सांपों को खोजें फन कुचलें इन नागों का।
अनमोल थात्ती आजादी की रहेगी युग युग तक कायम।
करे प्रगति ये देश निरंतर हम तन मन अर्पण कर डालें।
रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर

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