महा शिवरात्रि पर्व- एक कविता
महा शिवरात्रि पर्व- एक कविता
शिव पियें हलाहल
विषधर नीलकण्ठ हैं कहलाये।
मस्तक पर धरे गंगा
चंदा गौरीशंकर वो कहलाये।
सत्यम् शिवम्
सुंदरम् मंत्र सभी धारण कर जायें।
शिवरात्रि महापर्व
पर शिवजी का पूजन कर आयें।
भांग धतूरा दुग्ध
बेल पत्र से उनका अभिषेक करें।
करें ध्यान शिव
का निज दुर्गुण अवगुण तज आयें।
सकल जन होंयें
खुशहाल और बदरा अमृत बरसायें।
जगत की खातिर अमन
चैन सुख शिवजी से मांगें।
रचनाकार- राजेश
कुमार, कानपुर
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