मोह- एक कविता

मोह- एक कविता
नश्वर यहि संसार है सब कोऊ जानै आय।
माया मोह के फंद हैं कोई बच नहिं पाय।
मौत सामने है खड़ी मोह छोड़ि नहिं जात।
हिरनी तनया संग में बघवा वहि धरि खात।
रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर

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