बालिका की अभिलाषा- एक कविता

बालिका की अभिलाषा- एक कविता

तुम मेरा मत अपमान करो, हूँ भावी पीढ़ी की वाहक मैं।
गर आज सँवारा गया मुझे, कल पूरी दुनिया बदलूँगी मैं।
गया नकारा गर मुझको तो,जग मुझ पर ही थम जायेगा।
बेटी बन आयी जग में, माँ दादी परदादी बन जाऊँगी मैं।
हैं सपने बहुत मेरे मन में, उन सबको साकार करूँगी मैं।
कुलदीपक की जननी बनकर,रोशन पूरा कुनबा कर दूँगी मैं।
गर मुझपर इक उपकार किया,अनगिन उपकार करूँगी मैं।
तन मन अनंत उर्जा से पूरित, अप्रतिम उड़ान भरूँगी मैं।
वर्तमान इस कायनात की, अप्रतिम नव छटा बिखेरूँगी मैं।
है दरकार आपके आशीषों की,बिन पंखों के उड़ जाऊँगी मैं।

रचनाकार- राजेश कुमारकानपुर

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