नींद- एक कविता
चतुष्पदी समारोह-
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संचालक- सुश्री भारती जैन 'दिव्यांशी' जी
अध्यक्ष- श्री इषुप्रिय शर्मा 'अंकित' जी
एवं मंच के सभी मनीषियों की
प्रतिष्ठा में-
नींद / समानार्थी
मेघा छाये चपला चमके अंगारे
हैं नयनों में।
सगरे सखा वैरी से लागे
छेड़ें मुझे सवालों में।
भूख प्यास से नाता टूटा डूबे
तेरे खयालों में।
नींद हमारी गिरवी रख गयी
तेरे झूठे वादों में।
रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर
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