उपहास - एक कविता
कविता लोक
चतुष्पदी समारोह- 235
संचालक- सुश्री भारती जैन 'दिव्यांशी' जी
अध्यक्ष- श्री संगीत पांडेय जी
एवं मंच के सभी मनीषियों की प्रतिष्ठा में-
उपहास
वैरी का उपहास करो मत, वो तो करना संघर्ष सिखाये।
जब भी कोई चूक होये तो,इस पर वैरी नजर है रखता।
सखा दिखाये सही राह, अरु वैरी भय सब सीधे चलते।
बने कृतज्ञ वैरी के निश-वासर, वो तो सद्मार्ग दिखाये।
रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर
टिप्पणियाँ