मातृ-पितृ वंदन-एक कविता
मातृ-पितृ वंदन
मात-पिता
गुरु स्वामी मेरे, मैंने इनसे सब कुछ पाया।
छत्र-छाया
इनकी मुझ पर, वरद हस्त सिर पर मेरे है।
करे
अवज्ञा जो भी इनकी, उनकी दुनिया में तम छाये।
आयें जब
भी मुश्किल घड़ियां,तारनहार तभी बन जाते।
प्रभु से
पहले याद आयें ये, मेरा सारा इनको अर्पण है।
आदर
श्रद्धा है धर्म हमारा,सकल काज पूरन होते हैं।
दुख
मुश्किल की घड़ियों में,मेरी ये फरियादें सुनते हैं।
धुरी बने मेरी
दुनिया के, ये कायनात के मालिक हैं।
परमेश्वर
को हर क्षण भजते,साक्षात दर्शन पाते हैं।
मेरी
राहें करें प्रकाशित,भले बुरे का ज्ञान कराते हैं।
साक्षात्कार
प्रभु से हैं करते,जो इनको हरदम भजते हैं।
नित आशीष मुझे
देते ये,जग के जीवित परमेश्वर हैं।
जब मैं इनके चरण पखारूँ,सुरसरि
आशीषों की बहती है।
रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर
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