एक सोच

एक सोच-
प्रस्तुत इस वीडियो को देखकर निम्नवत भावनायें जाग्रत हुयीं-
सीमाओं के प्रहरी बने दोनों देशों के सैनिक, जो शायद अपनी-अपनी सीमाओं में रहकर एक दूसरे का चेहरा देखते-देखते सम्भवतः एक दूसरे के चिर परिचित मित्र भी बन चुके हों।उन्होंने त्यौहार के मौके पर एक दूसरे को भेंट व शब्दों की बधाइयों व आशीर्वाद की बौछारों से एक दूसरे के तन मन को सराबोर कर रख दिया।सम्भवतः यह बहुत पुरानी परम्परा भी है।आखिर क्यों न हो, क्योंकि दोनों ही देश एक दूसरे के ह्रदय से जन्म लिये जुड़वाँ ही हैं।अब इस मौके पर आवश्यकता है कि दोनों देशों के आकाओं को एक साथ मिल बैठ कर ह्रदय से अपने-अपने स्वार्थों को परे रख कर इसे जमीनी तौर पर सच साबित कर के दिखायें।सीमाओं की रक्षा के नाम पर होने वाली बेहिसाब देशी व विदेशी नकदी जो खर्च की जा रही है, जिससे वह दोनों ही देशों के सार्थक सृजन में काम आ सके।
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