पटाखे- दीपक -एक चतुष्पदी कविता


पटाखे- दीपक 
मासूम पटाखों का सृजन करें असमय कालकवलित होते।
धमक चमक से फटे पटाखे मासूमों की आहें लील गयीं।
फटे पटाखे आसमान में हवा फिजाओं में जहर घोल देते।
लड़ी झालरें बनी विदेशी माटी के देशी दीपक लील गयीं।
रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर

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