प्यास- एक कविता



प्यास

अन्तर्तम के दोषों को पहचानें,अपने मन को निर्मल कर डालें।
खुद से खुद को लड़ना सीखें,सब बुरी आदतों को तज डालें।
प्यास जगायें सत्कर्मों की,नित कुछ नव कर्मों की आदत डालें।
स्वार्थ तजें परस्वारथ में,तन मन धन सब अर्पण कर डालें।
रचनाकार- राजेश कुमार,  कानपुर


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