कर्तव्य पालन- एक कविता
कर्तव्य पालन
जब जग में है जन्में,सत्कर्मों
से जीवन सफल करें।
जग में हैं काज बहुत,उनमें
इक अपना काज चुनें।
काज चुनें कुछ ऐसा ही, जो
बेहतर ढंग से कर पायें।
अपनी रुचियों का ख्याल करें,कुछ
वैसा ही काम चुनें।
फिर जो भी मिले काम,तन मन
धन से परिपूर्ण करें।
जब तक मिले न सफलता,अपना
प्रयास जारी रखें।
कौये जैसा कर प्रयास, बगुला
समान ही ध्यान धरें।
हैं हीरे मिलते गहराई
में,मोती मिलते हैं मुश्किल से।
तन मन सब करें समर्पण,तब सफलतायें
कदम चूमे।
निज कर्मों में रस खोजें,उस
रस का ही नित पान करें।
दुख में भी जब सुख
ढूढ़ें,तब दुख से सुख बन जायेंगे।
मजे मजे से काज करें,अरु काज
काज में मजे करें।
काज नहीं हो सकते निष्फल,जो
काज हैं दिल से होते।
मन में है चाह सफलता की,तो
आन बान तज काज करें।
रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर
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