उड़ान नन्हें कदमों की - एक कविता


उड़ान नन्हें कदमों की
आ नन्हें नन्हें पैरों से हम तुझको चलना सिखलायें।
इन नन्हें पैरों से ही तू चाँद सितारों तक हो आये।
विद्यामंदिर चलकर जाये मैडम क्यूरी तू बन जाये।
तुझको आसमान तक जा कर ऊँची कूद लगाना है।
तेरा सफर दूर शिखर में तू भरे उड़ानें दूर गगन तक।
तोड़ बेड़ियाँ इस समाज की तू चमके दूर सितारों में।
बेड़ी तोड़े कड़ियां जोड़े बंद दरों की सांकल खोले।
तेरा नाम गगन में छाये तू बने सितारा अंतरिक्ष में।
जुड़े हमारा नाम में तेरे तू ही हमरी पहचान बन जाये।
बैसाखियाँ हमारी तुम बन जाना जब हम बूढ़े हो जायें ।
तेरे कंधों के ही सहारे जग निर्वाण हमारा हो जाये।
है तुमको आशीष हमारा हमरी उमर तुम्हें लग जाये।
रचनाकार- राजेश कुमार,  कानपुर


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भ्रमजाल का मकड़जाल- एक कविता

बिजली के खंभे पर पीपल का पेड़ - एक कविता