हिन्दी दिवस पर विशेष प्रस्तुति- एक कविता

हिन्दी दिवस पर हार्दिक बधाईयाँ व शुभकामनायें
हिन्दी दिवस पर विशेष प्रस्तुति
हिन्दी में समझायेंगे
सूदखोर सेठ कारिन्दे से बोला
शकल नहीं दिखाई मुलुआ ने तबसे
करजा लेकर गया वो जब से
मूल की छोड़ो सूद भी दिया नहीं उसने
जाओ पकड़ खींचकर उसको ले आओ
मैं उसको हिन्दी में समझाऊँगा.... मैं उसको............
मालिक अपने नौकर से कुछ यूँ बोला
तू करता रहता है मटरगश्ती दिन रात
लत लगी है तुझे हरामखोरी की
गर बदला नहीं तूने अपना ये रवैया
मैं तुझको हिन्दी में समझाऊँगा ...... मैं तुझको हिन्दी...........
मकान मालिक बोला अपने किरायेदार से
नहीं चुकाया किराया तीन महीनों का
हो तुम्हारी कैसी भी मजबूरी
मुझको नहीं उससे कोई सरोकार
जल्द चुकता करो किराया वरना
मैं तुम्हें हिन्दी में समझाऊँगा....... मैं तुम्हें हिन्दी......
बहू बोली सास से आज कल
लगता नहीं तुम्हारा मन किसी काम में
कल डाल दिया था दाल में नमक ज्यादा
साड़ी भी मेरी ठीक से तह कर सकती नहीं
गर हाल यही यदि रहा आपका
मैं आपको हिन्दी में समझाऊँगी...... मैं आपको हिन्दी......
बेटा बोला बाप से कब से हूँ मैं कह रहा
दिलवाओ मुझको एंड्रायड सेलफोन
जूँ भी नहीं रेंगती है कान में
जाते रोज आप हैं भूल
यदि माँग मेरी करी पूरी नहीं
मैं आपको हिन्दी में समझाऊँगा..... मैं आपको हिन्दी.......
मंत्रीजी अफसर से बोले
तुम करते नहीं काम इक ढंग का
तुम्हारे लिखे हुए भाषण से
अंडों और टमाटरों की बारिस भई घनघोर
अगली बार भाषण लिखना जोरदार वरना
मैं तुमको हिन्दी में समझाऊँगा....... मैं तुमको हिन्दी....
हिन्दी का यह कैसा हाल बनाया हमने
यह नहीं सदा से थी ऐसी
समझाया था भरत को प्रभु राम ने
हिन्दी में ही राज धरम
दिया था उपदेश गीता का
मुरली धर ने धनुरधर को हिन्दी में ही
जब हुआ ज्ञान भगवान बुद्ध को
दिया उपदेश जग को हिन्दी में ही
हिन्दी ही है जन जन की भाषा
पार पहुँच गयी है सात समन्दर
आज हिन्दी दिवस पर लें संकल्प
हिन्दी ही बोयेंगे हिन्दी ही काटेंगे
हिन्दी ही खायेंगे हिन्दी ही बांटेंगे
करेंगे लेन देन सारा हिन्दी में ही
सभी लोग सबको हिन्दी में ही समझायेंगे हिन्दी में ही समझायेंगे ...............
रचनाकार- राजेश कुमार, कानपुर

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बिजली के खंभे पर पीपल का पेड़ - एक कविता

एक कड़वा सच- एक विचार